काशी तमिल संगमम 3: तमिलनाडु से पहुंचे जत्थे का भव्य स्वागत

काशी तमिल संगमम 3: तमिलनाडु से पहुंचे जत्थे का भव्य स्वागत

काशी तमिल संगमम 3: तमिलनाडु से पहुंचे जत्थे का भव्य स्वागत

वाराणसी, 16 फरवरी 2025: सनातन संस्कृति के दो प्रमुख केंद्र—काशी और तमिलनाडु—के बीच सांस्कृतिक सेतु को और मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित काशी तमिल संगमम 3 में भाग लेने के लिए तमिलनाडु से श्रद्धालुओं, विद्वानों और कलाकारों का एक बड़ा जत्था वाराणसी पहुंचा। वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और कैंट रेलवे स्टेशन पर जिलाधिकारी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों ने पारंपरिक अंदाज में इनका भव्य स्वागत किया।

तमिल परंपरा और काशी की आत्मीयता का मिलन


काशी तमिल संगमम, जो भारतीय संस्कृति के दो प्राचीन केंद्रों—उत्तर की सांस्कृतिक राजधानी काशी और दक्षिण की ज्ञान परंपरा से समृद्ध तमिल भूमि—के ऐतिहासिक संबंधों को पुनर्जीवित करता है, अपने तीसरे संस्करण में और भी भव्य रूप में प्रस्तुत हो रहा है। इस संगमम के अंतर्गत काशी पहुंचे तमिलनाडु के श्रद्धालु यहां की परंपराओं और आध्यात्मिकता से रूबरू होंगे, साथ ही तमिल संस्कृति की झलक भी प्रस्तुत करेंगे।

जिलाधिकारी ने किया स्वागत


तमिलनाडु से आए इस जत्थे का स्वागत करते हुए वाराणसी के जिलाधिकारी ने कहा, “यह संगम केवल दो राज्यों के लोगों का नहीं, बल्कि दो महान सभ्यताओं का मिलन है। काशी और तमिल संस्कृति की आत्मा एक ही है, और यह आयोजन हमारे ऐतिहासिक संबंधों को और भी प्रगाढ़ करेगा।”

जिलाधिकारी के साथ स्थानीय प्रशासन, शिक्षाविद, और संस्कृत एवं तमिल विद्या के विद्वानों ने भी इस सांस्कृतिक एकता के पर्व का अभिनंदन किया। तमिलनाडु से आए श्रद्धालुओं और कलाकारों ने भी अपने अनुभव साझा किए।

अधिकारियों ने तमिलनाडु से आए श्रद्धालुओं का पारंपरिक रूप से स्वागत किया और उन्हें पुष्पगुच्छ भेंट कर उनके वाराणसी आगमन पर हर्ष प्रकट किया। जिलाधिकारी ने कहा, “यह संगम न केवल दो राज्यों का मिलन है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता की जीवंत मिसाल है। वाराणसीवासियों के लिए यह सौभाग्य की बात है कि हम तमिलनाडु के विद्वानों, कलाकारों और श्रद्धालुओं का स्वागत कर रहे हैं।”

तमिलनाडु के श्रद्धालुओं में उत्साह


तमिलनाडु से काशी पहुंचे एक श्रद्धालु, श्रीनिवासन अय्यर, ने कहा, “काशी आना हमारे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां की गलियों में भी आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है। संगमम के माध्यम से हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को साझा करने का अवसर मिल रहा है, जो एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।”

भव्य आयोजन का आगाज़


काशी तमिल संगमम 3 के तहत कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें तमिल और संस्कृत विद्वानों के संवाद, पारंपरिक संगीत एवं नृत्य प्रस्तुतियां, आध्यात्मिक प्रवचन, तथा साहित्यिक गोष्ठियां प्रमुख हैं। इसके अलावा, तमिलनाडु के पारंपरिक व्यंजनों और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिससे वाराणसी के लोग दक्षिण भारतीय संस्कृति का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकें।

सांस्कृतिक एकता की अनुपम झलक


यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ मिशन को साकार करता है, जिसका उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों की समृद्ध परंपराओं और संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोना है। वाराणसी में तमिल भाषा और परंपरा को लेकर जो प्रेम और अपनापन देखने को मिलता है, वह इस ऐतिहासिक आयोजन को और भी विशेष बना देता है।

तमिल और काशी की गूंज एक साथ मिलकर यह संदेश देती है कि भारत की विविधता में ही उसकी वास्तविक शक्ति छिपी है। काशी तमिल संगमम 3 न केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान का मंच है, बल्कि यह भारतीयता की आत्मा को जीवंत करने का पर्व भी है।

सांस्कृतिक आयोजन और आगे की रूपरेखा

काशी तमिल संगमम 3 के तहत विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें तमिल विद्वानों और काशी के पंडितों के बीच संवाद, पारंपरिक नृत्य-संगीत प्रस्तुतियां, साहित्यिक गोष्ठियां, तथा तमिल व्यंजन एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी शामिल हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण और संस्कृति विभाग इन आयोजनों को भव्य रूप देने के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं।

तमिलनाडु से आए श्रद्धालुओं और कलाकारों ने भी अपने अनुभव साझा किए और काशी में मिले सम्मान एवं आत्मीयता के लिए आभार व्यक्त किया। यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान को साकार करते हुए उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता को और मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।

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