आईएएस अधिकारी रवि सिहाग पर फर्जी प्रमाण पत्र के आरोप, जांच शुरू
नई दिल्ली, 3 जून 2025: मध्य प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी रवि कुमार सिहाग इन दिनों विवादों के घेरे में हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के निवासी सिहाग पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे के तहत यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में कथित तौर पर फर्जी आय और संपत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आरोप है। केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने राजस्थान सरकार को उनके प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच करने का निर्देश दिया है।
तीन बार यूपीएससी में सफलता, अब विवाद में
रवि सिहाग ने अपनी मेहनत और लगन से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार सफलता हासिल की थी। उन्होंने 2018 में 337वीं रैंक के साथ भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आईडीएएस), 2019 में 317वीं रैंक के साथ भारतीय रेलवे लेखा सेवा (आईआरएएस), और 2021 में 18वीं रैंक के साथ आईएएस में चयन प्राप्त किया। वर्तमान में वह मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के लखनादौन में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के पद पर तैनात हैं।
हालांकि, उनकी इस उपलब्धि पर अब सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि सिहाग ने 2021 की यूपीएससी परीक्षा में ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ लेने के लिए गलत दस्तावेज प्रस्तुत किए। यह मामला तब सामने आया जब एक आरटीआई कार्यकर्ता की शिकायत के बाद डीओपीटी ने जांच शुरू की।
जांच का दायरा और संभावित परिणाम
डीओपीटी ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सिहाग के आय और संपत्ति प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच करने को कहा है। यह जांच न केवल सिहाग तक सीमित है, बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, केरल, बिहार और महाराष्ट्र के कुल 11 आईएएस, 2 आईपीएस, 1 आईएफएस और 1 आईआरएएस अधिकारियों के प्रमाण पत्रों की भी जांच की जा रही है।
यदि प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए, तो सिहाग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और सेवा आचरण नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है। यह उनके करियर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिसमें उनकी नियुक्ति रद्द होने की संभावना भी शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) या उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर हो सकती है।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
यह मामला यूपीएससी परीक्षा की पारदर्शिता और आरक्षण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहा है। हाल के वर्षों में, फर्जी प्रमाण पत्रों के उपयोग से संबंधित कई मामले सामने आए हैं, जैसे कि पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेड़कर का मामला, जिन्हें 2024 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। ऐसे में, इस जांच के परिणाम न केवल सिहाग के भविष्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि सिविल सेवा चयन प्रक्रिया में और सख्ती लाने की मांग को भी बढ़ा सकते हैं।