उत्तर प्रदेश: अब एक ही दुकान मे मिलेगी (तीनों शराब) बियर, देशी और अँग्रेजी शराब, सरकार ने किया आबकारी नीति मे बदलाव


लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आबकारी नीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए अब देशी, अंग्रेजी शराब और बियर को एक ही दुकान में बेचने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से न केवल उपभोक्ताओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि शराब विक्रेताओं के लिए भी व्यापार करना आसान होगा। सरकार का मानना है कि इस नई नीति से राजस्व में बढ़ोतरी होगी और अवैध शराब के कारोबार पर भी अंकुश लगेगा।

नई नीति के तहत शराब बिक्री में क्या बदलाव हुए?


अब तक उत्तर प्रदेश में देशी शराब, अंग्रेजी शराब और बियर की बिक्री के लिए अलग-अलग दुकानें हुआ करती थीं। इसके चलते उपभोक्ताओं को अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता था, और दुकानदारों को भी अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता था। लेकिन अब नई नीति के तहत सभी प्रकार की शराब को एक ही दुकान से बेचा जा सकेगा, जिससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों को सुविधा मिलेगी।

लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया


नई नीति के तहत शराब विक्रेताओं को एकीकृत लाइसेंस लेना होगा, जो उन्हें एक ही दुकान से देशी, अंग्रेजी शराब और बियर बेचने की अनुमति देगा। इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी:

आवेदन प्रक्रिया:

इच्छुक व्यापारी को आबकारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
आवेदन पत्र में व्यक्तिगत जानकारी, दुकान का स्थान, प्रस्तावित स्टॉक और अन्य विवरण भरने होंगे।
आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक विवरण, जीएसटी नंबर और पिछले कारोबार का रिकॉर्ड संलग्न करना होगा।


लाइसेंस शुल्क और अन्य शुल्क:

लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक निर्धारित शुल्क देना होगा, जो दुकान के स्थान और संभावित बिक्री के आधार पर अलग-अलग होगा।

लाइसेंस के लिए सलाना फीस 11 हजार रुपये और 11 रुपये सिक्योरिटी देना होगा। और लाइसेंस भी उनही लोगो को मिलेगा जो लगातार 3 वर्ष से आयकर दाता हो। उन्हे अपना आयकर रिटर्न भी दाखिल करना होगा
इसके अलावा, सरकार ने आबकारी कर की दरों में कुछ बदलाव भी किए हैं, जिससे राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।


अनुमोदन और सत्यापन प्रक्रिया:

आवेदन जमा करने के बाद आबकारी विभाग द्वारा इसका सत्यापन किया जाएगा।
आवेदक के पिछले रिकॉर्ड और दुकान के स्थान की जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां कोई अवैध गतिविधि न हो।
सत्यापन पूरा होने के बाद लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा।


नई नीति से संभावित प्रभाव

राजस्व में वृद्धि:

सरकार को उम्मीद है कि इस नई नीति से शराब बिक्री का कारोबार बढ़ेगा और इससे राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी

अवैध शराब पर नियंत्रण:

एक ही दुकान में विभिन्न प्रकार की शराब मिलने से अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगने की संभावना है।

उपभोक्ताओं को सुविधा:


अब ग्राहकों को अलग-अलग दुकानों पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय और धन की बचत होगी।

व्यापारियों को राहत:


अलग-अलग लाइसेंस लेने की जरूरत खत्म हो जाएगी, जिससे व्यापारियों को कम प्रशासनिक झंझटों का सामना करना पड़ेगा।

चुनौतियां और आलोचनाएं


हालांकि यह नीति व्यापारियों और सरकार के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं:

शराब की बढ़ती उपलब्धता से सामाजिक प्रभाव:


सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों का मानना है कि एक ही दुकान में विभिन्न प्रकार की शराब उपलब्ध कराने से शराब की खपत बढ़ सकती है, जिससे सामाजिक बुराइयों में वृद्धि हो सकती है।

छोटे व्यापारियों को नुकसान:


बड़ी कंपनियों और बड़े खुदरा विक्रेताओं को इस नीति का लाभ मिल सकता है, जबकि छोटे व्यापारी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं।

अनुशासन और कानून व्यवस्था पर असर:


शराब की आसान उपलब्धता से अपराध दर में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है, खासकर युवा वर्ग के लिए।

सरकार की सफाई और भविष्य की योजनाएं


सरकार का कहना है कि नई नीति से न केवल शराब की बिक्री को सुव्यवस्थित किया जाएगा, बल्कि अवैध शराब और तस्करी को भी रोका जाएगा। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि लाइसेंस प्रक्रिया पारदर्शी हो और किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो।

आबकारी विभाग के अनुसार, लाइसेंस आवंटन के दौरान यह ध्यान रखा जाएगा कि शराब की दुकानें संवेदनशील स्थानों जैसे कि स्कूलों, धार्मिक स्थलों और रिहायशी इलाकों से दूर हों।

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