उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ धरना-प्रदर्शन, ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का कड़ा रुख
लखनऊ, 30 मई 2025: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में कर्मचारियों ने लखनऊ, वाराणसी, चंदौली, शामली, हापुड़ और बिजनौर जैसे कई जिलों में विरोध सभाएं आयोजित कीं। कर्मचारियों ने निजीकरण को जनविरोधी बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।
कर्मचारियों की मांग और विरोध प्रदर्शन
शामली में ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर लगातार कई दिनों तक धरना दिया। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से न केवल उनकी सेवा शर्तें प्रभावित होंगी, बल्कि बिजली की दरें बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को भी परेशानी होगी। चंदौली में सैकड़ों कर्मचारियों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर में धरना दिया और निजीकरण के खिलाफ नारेबाजी की।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे और महामंत्री जितेंद्र गुर्जर ने कहा कि निजीकरण से हजारों संविदा कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। लखनऊ में शक्तिभवन के बाहर कर्मचारियों ने लालटेन लेकर प्रदर्शन किया, जिसके जरिए उन्होंने संदेश दिया कि निजीकरण से बिजली इतनी महंगी हो जाएगी कि उपभोक्ताओं को मोमबत्ती का सहारा लेना पड़ेगा।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का बयान
इस बीच, उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने निजीकरण के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि बिजली विभाग का निजीकरण निश्चित है और इस प्रक्रिया को अब रोका नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “निजीकरण से बिजली व्यवस्था में सुधार होगा और यह अधिक पारदर्शी होगी।”
मंत्री ने कर्मचारियों के विरोध पर नाराजगी जताते हुए कहा कि गर्मी के मौसम में बिजली की मांग बढ़ जाती है और ऐसे समय में कार्य बहिष्कार या हड़ताल से जनता को परेशानी होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि जो कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे या बिजली आपूर्ति में व्यवधान डालेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शर्मा ने यह भी निर्देश दिया कि सभी डिस्कॉम और जिला प्रशासन बिजली आपूर्ति को सुचारु रखने के लिए 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित करें।
सरकार और कर्मचारियों में तनाव
निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने 29 मई को कार्य बहिष्कार की योजना बनाई थी, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर इसे स्थगित कर सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया गया। कर्मचारी नेताओं ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में पहले किए गए निजीकरण के प्रयोग विफल रहे हैं, जिससे बिजली दरें बढ़ीं और उपभोक्ता सेवाएं प्रभावित हुईं।
दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि निजीकरण से बिजली व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता आएगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि मानती है और किसी भी तरह के व्यवधान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आगे की रणनीति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि निजीकरण का फैसला वापस होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर और मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताने की योजना बनाई है। वहीं, सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह जनता को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने देगी और आवश्यक कदम उठाएगी।
इस मुद्दे पर सरकार और कर्मचारियों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है, और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है।