खराब मौसम के कारण तीन विमानों की वाराणसी में आपातकालीन लैंडिंग

खराब मौसम के कारण तीन विमानों की वाराणसी में आपातकालीन लैंडिंग

वाराणसी, 28 अप्रैल 2025: खराब मौसम ने एक बार फिर हवाई यात्रा को प्रभावित किया। पटना की ओर जा रहे तीन यात्री विमानों को वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। यह घटना रविवार, 27 अप्रैल 2025 को हुई, जब पटना में भारी बारिश और कम दृश्यता के कारण विमानों को उनके गंतव्य पर उतरने की अनुमति नहीं मिली। इस घटना ने यात्रियों के बीच कुछ समय के लिए चिंता पैदा की, लेकिन सभी विमान सुरक्षित रूप से उतर गए।

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, पटना के जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डे पर रविवार दोपहर भारी बारिश के कारण रनवे की दृश्यता काफी कम हो गई थी। इस वजह से तीन विमानों—जिनमें इंडिगो और स्पाइसजेट की उड़ानें शामिल थीं—को पटना में लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई। एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) ने पायलटों को नजदीकी हवाई अड्डे, यानी वाराणसी, की ओर डायवर्ट करने का निर्देश दिया।

विमानों ने रविवार शाम को वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डे पर सुरक्षित लैंडिंग की। इनमें सवार कुल मिलाकर लगभग 400-450 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित रहे। वाराणसी हवाई अड्डा प्रशासन ने तत्काल व्यवस्था की, जिसमें यात्रियों के लिए पानी, नाश्ता और उड़ान की स्थिति पर नियमित अपडेट शामिल थे। मौसम में सुधार होने के बाद, ये विमान देर रात पटना के लिए रवाना हुए।

मौसम की भूमिका

मौसम विभाग के अनुसार, बिहार और आसपास के क्षेत्रों में रविवार को तेज बारिश और हवाओं के कारण हवाई यातायात पर व्यापक असर पड़ा। पटना में रनवे की दृश्यता 500 मीटर से भी कम हो गई थी, जो सुरक्षित लैंडिंग के लिए न्यूनतम मानक से काफी नीचे है। इसके विपरीत, वाराणसी में मौसम अपेक्षाकृत बेहतर था, जिसके कारण पायलटों ने वहां लैंडिंग को प्राथमिकता दी।

हाल के वर्षों में, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनियमितताएं बढ़ रही हैं। भारी बारिश, कोहरा और धूल भरी आंधी जैसी घटनाएं हवाई यात्रा को बार-बार प्रभावित कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए हवाई अड्डों को और अधिक उन्नत तकनीक और बेहतर योजना की आवश्यकता है।

यात्रियों की प्रतिक्रिया

विमानों में सवार यात्रियों ने इस अनुभव को मिला-जुला बताया। पटना निवासी अजय सिंह, जो दिल्ली से लौट रहे थे, ने कहा, “जब हमें बताया गया कि विमान पटना की बजाय वाराणसी में उतरेगा, तो थोड़ा तनाव हुआ। लेकिन क्रू ने हमें शांत रखा और स्थिति को अच्छे से संभाला।”

वहीं, एक अन्य यात्री, लखनऊ की शालिनी वर्मा ने कहा, “हमें वाराणसी में कुछ घंटे इंतजार करना पड़ा, लेकिन एयरलाइंस ने खाने-पीने की व्यवस्था की। मौसम की वजह से ऐसी परिस्थितियां आती हैं, इसमें किसी का दोष नहीं।”

हवाई अड्डा प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे ने इस आपात स्थिति में सराहनीय कार्य किया। एयरपोर्ट निदेशक ने बताया, “हमें पटना से डायवर्टेड फ्लाइट्स की सूचना मिलते ही सभी आवश्यक इंतजाम किए गए। हमारी प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा थी।” हवाई अड्डे पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) जैसी आधुनिक सुविधाओं ने कम दृश्यता में भी सुरक्षित लैंडिंग को संभव बनाया।

चुनौतियां और समाधान

यह घटना पटना हवाई अड्डे की कुछ सीमाओं को भी उजागर करती है। जय प्रकाश नारायण हवाई अड्डे का रनवे केवल 2,072 मीटर लंबा है, जो बड़े विमानों के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, खराब मौसम में लैंडिंग के लिए उन्नत तकनीक की कमी भी एक चुनौती है। हालांकि, हवाई अड्डा प्राधिकरण एक नए टर्मिनल और रनवे विस्तार परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके अप्रैल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।

इसके अतिरिक्त, वाराणसी हवाई अड्डे की क्षमता और सुविधाएं इसे आपात स्थितियों में एक विश्वसनीय विकल्प बनाती हैं। हाल ही में, इस हवाई अड्डे ने एक दिन में 86 उड़ानों और 13,562 यात्रियों का रिकॉर्ड बनाया, जो इसकी बढ़ती दक्षता को दर्शाता है।

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