प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा बदलाव: अब घर होंगे केवल महिलाओं के नाम पर, जाने डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने क्या कहा
लखनऊ, 10 फरवरी 2025 — प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा बदलाव, उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके अनुसार अब से इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत सभी घरों की रजिस्ट्री केवल महिलाओं के नाम पर ही की जाएगी। इस कदम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उन्हें संपत्ति के स्वामित्व में प्राथमिकता देना है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “आवास योजना के इस प्रावधान का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा कि घरों का पंजीकरण लाभार्थी परिवार की महिला सदस्य के नाम पर ही हो। योजना में घरों के पंजीकरण के लिए दो विकल्प होंगे—संयुक्त या फिर केवल घर की महिला के नाम पर। केवल पुरुषों के नाम अब पंजीकरण न करने का फैसला किया गया है।”
इस निर्णय के पीछे सरकार का उद्देश्य दशकों से चली आ रही उस सामाजिक असमानता को दूर करना है, जिसमें घर और संपत्ति का स्वामित्व केवल पुरुषों तक सीमित रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा था, “दशकों तक ऐसी व्यवस्था रही कि घर और घर की संपत्ति को केवल पुरुषों का ही अधिकार समझा जाने लगा। आज हमारी सरकार की योजनाएं, इस असमानता को भी दूर कर रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो घर दिए जा रहे हैं, वो प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं के ही नाम से बन रहे हैं।”
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान
प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़ा बदलाव: अब घर होंगे केवल महिलाओं के नाम पर ,उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा, “यह कदम राज्य में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी मजबूत बनने का अवसर मिलेगा।”

उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरों का स्वामित्व महिलाओं के नाम पर होने से परिवारों में महिलाओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी, जिससे समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।”
उन्होने आगे कहा की इस योजना के तहत पक्के आवास केवल महिला मुखिया के नाम पर ही स्वीकृत किए जाये, इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह है की महिलाओ के अंदर भी स्वामित्व का भाव आए तथा वह भी समाज की मुखी धारा से जुड़ सके आगे उन्होने कहा की प्रत्येक आवास के सामने सहजन का पेड़ और सोलर लाइट के सुविधाओ के लिए प्लान बनाए। लाभार्थियो के सर्वे काम 31 मार्च तक पूरा करने का आदेश संबन्धित विभाग के अधिकारियों को दिया।
प्रत्येक शुक्रवार को गावों मे चौपाल लगाने का निर्देश
उप मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया की प्रत्येक विकास खंड की दो ग्राम पंचायतों मे प्रत्येक शुक्रवार को ग्राम चौपाल लगाकर ग्रामीणो की समस्याओ का निस्तारण किया जाय इससे गाव वालो को अपनी समस्याओ के समाधान के लिए भटकना नहीं पड़ेगा बल्कि उनके अपने गाव मे ही उनकी समस्याओ का निस्तारण हो जाएगा। आयुक्त ग्राम्य विकास विभाग जीएस प्रियदर्शी के अनुसार एक साल एक लाख 24 हजार से अधिक चौपाल लगाई गयी है। जिनमे 4 लाख 67 हजार से अधिक समस्याओ का निस्तारण किया गया।
ग्राम्य विकास विभाग की जानकारी के अनुसार, वर्तमान समय मे प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंतरगर्त महिला मुखिया के नाम स्वीकृत आवास का प्रतिशत करीब 40.14 है। तथा पति -पत्नी के नाम स्वीकृत आवास का प्रतिशत 51.74 है। इस तरह कुल 91.87 प्रतिशत मकान महिला मुखिया और पति-पत्नी के नाम स्वीकृत है।
इस निर्णय से महिलाओं को कई लाभ प्राप्त होंगे:
आर्थिक सशक्तिकरण: संपत्ति के स्वामित्व से महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, जिससे वे वित्तीय निर्णयों में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगी।
सामाजिक सम्मान: घर के स्वामित्व से महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ेगा और उनकी निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी।
लैंगिक समानता: इस पहल से परिवार और समाज में महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को बढ़ावा मिलेगा।
चुनौतियाँ और समाधान
हालांकि, इस निर्णय के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। जैसे कि पारंपरिक सोच और सामाजिक मान्यताएँ, जो महिलाओं के स्वामित्व को स्वीकारने में बाधा बन सकती हैं। इसके समाधान के लिए सरकार को जागरूकता अभियानों और शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में मानसिकता परिवर्तन लाने की दिशा में कार्य करना होगा।