बिहार के कटिहार जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में अनियमितताओं के आरोप में समाज कल्याण विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें चार बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) और एक जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) शामिल हैं। निलंबित अधिकारियों में फलका प्रखंड की सीडीपीओ पामेला टुडू, कदवा की सीडीपीओ शबनम शीला, मनिहारी की सीडीपीओ गुड़िया, मनसाही की सीडीपीओ संगीता मिंकी, और डीपीओ किसलय शर्मा के नाम प्रमुख हैं।
यह कार्रवाई समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी के निर्देश पर की गई है। मंत्री सहनी ने हाल ही में कटिहार जिले के विभिन्न प्रखंडों का दौरा किया था, जहां उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें बच्चों को दिए जाने वाले पोषण आहार की गुणवत्ता में कमी, रिकॉर्ड की सही तरीके से मेंटेनेंस न होना, और केंद्रों की साफ-सफाई में लापरवाही जैसी समस्याएं शामिल थीं। इन अनियमितताओं के आधार पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई।
आंगनबाड़ी केंद्रों का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, और 0-6 वर्ष के बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य, और पूर्व-प्राथमिक शिक्षा सेवाएं प्रदान करना है। इन केंद्रों के माध्यम से सरकार कुपोषण को कम करने, शिशु मृत्यु दर को घटाने, और बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। ऐसे में इन केंद्रों में अनियमितताएं गंभीर चिंता का विषय हैं, क्योंकि यह सीधे तौर पर समाज के सबसे कमजोर वर्गों को प्रभावित करती हैं।
मंत्री मदन सहनी ने इस मामले में स्पष्ट संदेश दिया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में किसी भी प्रकार की लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि सभी लाभार्थियों तक सेवाएं निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से पहुंचें। इसके लिए नियमित निरीक्षण और निगरानी की जाएगी, और दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस निलंबन के बाद, समाज कल्याण विभाग ने संबंधित प्रखंडों में नए अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है, ताकि आंगनबाड़ी केंद्रों की सेवाओं में कोई बाधा न आए। साथ ही, विभाग ने सभी जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र को मजबूत करने का निर्णय लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाइयों से अन्य अधिकारियों को भी एक सख्त संदेश जाएगा, जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएंगे। इसके अलावा, लाभार्थियों का विश्वास भी बढ़ेगा, और वे सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठा सकेंगे।
आंगनबाड़ी केंद्रों की सफलता में समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों को चाहिए कि वे इन केंद्रों की गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी अनियमितता की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें। साथ ही, सरकार को भी चाहिए कि वह शिकायत निवारण तंत्र को सुदृढ़ करे, ताकि शिकायतों का त्वरित और प्रभावी समाधान हो सके।
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया है कि सरकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए निगरानी, पारदर्शिता, और जवाबदेही आवश्यक हैं। केवल नीतियों का निर्माण ही नहीं, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन और नियमित मूल्यांकन से ही समाज के वंचित वर्गों तक लाभ पहुंचाया जा सकता है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में सुधार के लिए सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रमों, संसाधनों की उपलब्धता, और तकनीकी सहायता पर भी ध्यान देना होगा, ताकि ये केंद्र अपने उद्देश्यों को पूर्ण कर सकें और समाज के समग्र विकास में योगदान दे सकें।