भारत-पाक तनाव: अरब सागर में भारत ने तैनात की अपनी सबसे खतरनाक युद्धपोत, क्या है इसकी खासियत
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। इस हमले के बाद भारत ने अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत करते हुए अरब सागर में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को तैनात किया है। यह कदम न केवल भारत की नौसैनिक ताकत का प्रदर्शन है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत संदेश भी है।
पहलगाम हमले ने बढ़ाया तनाव
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों और दो स्थानीय नागरिकों की जान चली गई। इस हमले ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों का हाथ होने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में भारत ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना और अरब सागर में नौसैनिक तैनाती शामिल है।
भारत ने तैनात किया आईएनएस विक्रांत युद्धपोत
आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक शानदार उदाहरण है। 45,000 टन वजनी यह युद्धपोत 262 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है। यह 30 से अधिक लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है, जिसमें मिग-29के फाइटर जेट, एचएएल तेजस (नौसैनिक संस्करण), और एमएच-60आर हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इसके अलावा, विक्रांत पर 64 बराक मिसाइलें तैनात हैं, जो हवा में मार करने की क्षमता रखती हैं। इसकी स्ट्राइक रेंज 1500 किलोमीटर है, जो इसे पाकिस्तान के तटीय क्षेत्रों, जैसे कराची और ग्वादर, तक त्वरित कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है।
विक्रांत की तैनाती कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे से शुरू हुई, और सैटेलाइट तस्वीरों ने इसे अरब सागर में पाकिस्तानी जलक्षेत्र के निकट गतिशील दिखाया है। यह तैनाती भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जो पाकिस्तान की किसी भी समुद्री आक्रामकता का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और अरब सागर में बढ़ता तनाव
पाकिस्तान ने भारत की इस तैनाती के जवाब में 24-25 अप्रैल 2025 को अरब सागर में कराची तट के पास सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण करने की घोषणा की है। इस मिसाइल की रेंज लगभग 480 किलोमीटर बताई जा रही है। इसके साथ ही, पाकिस्तान ने अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र में नो-फ्लाई जोन और समुद्री यातायात के लिए चेतावनी जारी की है। यह कदम भारत के सैन्य दबाव के जवाब में उसकी बौखलाहट को दर्शाता है।
दूसरी ओर, भारत ने भी अपनी ताकत का प्रदर्शन जारी रखा है। भारतीय नौसेना के स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस सूरत ने हाल ही में अरब सागर में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण ने एक तेज गति से चलने वाले हवाई लक्ष्य को सटीकता से नष्ट किया, जिससे भारत की नौसैनिक रक्षा क्षमताओं में वृद्धि और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रति उसकी प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई।
रणनीतिक महत्व और भविष्य की संभावनाएं
आईएनएस विक्रांत की तैनाती का रणनीतिक महत्व केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के लिए भी अहम है। पाकिस्तान के पास वर्तमान में कोई विमानवाहक पोत नहीं है, जिससे भारत को हिंद महासागर और अरब सागर में स्पष्ट रणनीतिक बढ़त प्राप्त है। विक्रांत की मौजूदगी भारत को समुद्र में कहीं भी अपना बेस स्थापित करने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे पाकिस्तान के लिए भारत की अगली चाल का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा, भारत ने 26 राफेल फाइटर जेट (मरीन संस्करण) को विक्रांत पर तैनात करने के लिए फ्रांस के साथ सौदा करने की योजना बनाई है। यह कदम विक्रांत की मारक क्षमता को और बढ़ाएगा, जिससे यह दुनिया के शीर्ष 10 विमानवाहक युद्धपोतों में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की सख्ती
सैन्य तैनाती के साथ-साथ, भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी कड़े कदम उठाए हैं। सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला, अटारी चेक पोस्ट को बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए SAARC वीजा छूट योजना को रद्द करना भारत के सख्त रुख को दर्शाता है। इन कदमों ने पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक रूप से दबाव में ला दिया है, खासकर तब जब वह पहले से ही आर्थिक संकट और विश्व बैंक की चेतावनियों का सामना कर रहा है।