भारत-पाक तनाव के बीच रूस का बड़ा ऑफर: S-500 एयर डिफेंस सिस्टम का संयुक्त उत्पादन प्रस्ताव

भारत-पाक तनाव के बीच रूस का बड़ा ऑफर: S-500 एयर डिफेंस सिस्टम का संयुक्त उत्पादन प्रस्ताव

नई दिल्ली, 18 मई 2025: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों के बीच रूस ने भारत को अपने सबसे उन्नत S-500 ‘प्रोमेथियस’ एयर डिफेंस सिस्टम के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव दिया है। यह ऑफर ऐसे समय में आया है जब भारत ने रूस से खरीदे गए S-400 ‘सुदर्शन चक्र’ सिस्टम का उपयोग कर पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम किया है। S-500, जो S-400 का उन्नत संस्करण है, हाइपरसोनिक मिसाइलों और निम्न कक्षा के उपग्रहों को निशाना बनाने में सक्षम है। यह प्रस्ताव भारत-रूस रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

S-500 प्रोमेथियस: विशेषताएं और क्षमताएं

S-500 ‘प्रोमेथियस’, जिसे 55R6M ‘ट्रायम्फेटर-एम’ भी कहा जाता है, रूस के अल्माज-एंटी द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक सतह-से-हवा और बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली है। यह S-400 का उत्तराधिकारी है और निम्नलिखित विशेषताओं के लिए जाना जाता है:

रेंज: हवाई लक्ष्यों के लिए 600 किमी और बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 3,500 किमी तक की रेंज।

लक्ष्य: हाइपरसोनिक मिसाइलें (मैक 5 से अधिक गति), स्टील्थ फाइटर जेट, ड्रोन, और निम्न कक्षा के उपग्रह।

प्रतिक्रिया समय: 3-4 सेकंड, जो S-400 के 9-10 सेकंड से काफी तेज है।

रडार: जाम-प्रूफ, मल्टी-फ्रीक्वेंसी रडार जो 2,000 किमी तक की ऊंचाई पर लक्ष्यों का पता लगा सकता है।

मिसाइलें: 77N6-N और 77N6-N1 मिसाइलें, जो बिना विस्फोटक के प्रभाव से लक्ष्य नष्ट कर सकती हैं, और 40N6M मिसाइलें जो S-400 के साथ साझा हैं।

लक्ष्य ट्रैकिंग: एक साथ 10 हाइपरसोनिक लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता।

S-500 को रूस ने 2025 तक मॉस्को और मध्य रूस में तैनात करने की योजना बनाई है, और यह प्रणाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) और अंतरिक्ष-आधारित हथियारों के खिलाफ भी प्रभावी है।

भारत-पाक तनाव और S-400 का प्रदर्शन

7-8 मई 2025 को, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। जवाब में, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, और पंजाब के 15 भारतीय शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए। भारतीय वायु सेना ने S-400 सिस्टम का उपयोग कर इन हमलों को नाकाम कर दिया, जिसमें 15 मिसाइलें और 50 से अधिक ड्रोन नष्ट किए गए। S-400, जिसे भारत ने 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर में खरीदा था, ने 600 किमी तक लक्ष्य ट्रैक करने और 400 किमी की रेंज में 36 लक्ष्यों को एक साथ नष्ट करने की अपनी क्षमता साबित की।

पाकिस्तान ने 10 मई 2025 को दावा किया कि उसने अदमपुर में एक S-400 यूनिट को हाइपरसोनिक मिसाइलों से नष्ट कर दिया, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे “निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया। 13 मई को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अदमपुर वायु सेना स्टेशन का दौरा कर S-400 की कार्यक्षमता का प्रदर्शन किया।

रूस का S-500 ऑफर

रूस ने भारत को S-500 के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव पहली बार 2021 में दिया था, जब रूसी उप-प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव ने कहा कि भारत इस प्रणाली का पहला विदेशी खरीदार हो सकता है। 2024 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान यह प्रस्ताव फिर से सामने आया। मई 2025 में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत S-500 के सह-उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण की पेशकश की। यह ऑफर भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा उद्योग को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

रूस का यह प्रस्ताव निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

रणनीतिक साझेदारी: भारत रूस का सबसे बड़ा रक्षा खरीदार है, जिसमें S-400, टी-90 टैंक, और ब्रह्मोस मिसाइलें शामिल हैं।

पाकिस्तान और चीन के खतरे: पाकिस्तान की ड्रोन और मिसाइल क्षमताएं और चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलें भारत के लिए चुनौती हैं। S-500 इन खतरों को बेअसर कर सकता है।

तकनीकी हस्तांतरण: सह-उत्पादन से भारत को उन्नत तकनीक मिलेगी, जो स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को बढ़ावा देगी।

भारत का रुख और चुनौतियां

भारत ने अभी तक S-500 प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इसे स्वीकार कर सकता है, क्योंकि S-400 का प्रदर्शन प्रभावशाली रहा है। हालांकि, कुछ चुनौतियां हैं:

अमेरिकी प्रतिबंध: S-400 खरीद के बाद अमेरिका ने CAATSA प्रतिबंधों की धमकी दी थी, जो S-500 सौदे के लिए भी लागू हो सकती है।

लागत: S-500 की अनुमानित लागत 6,000 करोड़ रुपये प्रति यूनिट है, जो अमेरिकी THAAD सिस्टम (6,800 करोड़ रुपये) से कम है, लेकिन फिर भी महंगी है।

स्वदेशी प्रणालियां: भारत अपनी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली (प्रिथ्वी और उन्नत वायु रक्षा) विकसित कर रहा है, और S-500 को इसमें एकीकृत करना एक चुनौती हो सकता है।

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