मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: भारत में होगी जातिगत जनगणना, विपक्ष ने दी तीखी प्रतिक्रिया

मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला: भारत में होगी जातिगत जनगणना, विपक्ष ने दी तीखी प्रतिक्रिया

30 अप्रैल 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया: आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल किया जाएगा। यह स्वतंत्रता के बाद पहली बार होगा जब भारत में सभी जातियों की विस्तृत गणना की जाएगी। यह निर्णय विपक्ष की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है, लेकिन इसके राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थों ने देश में एक नई बहस छेड़ दी है। इस लेख में हम जातिगत जनगणना के इतिहास, इसके आधार, और विपक्ष की प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डालेंगे।

भारत में जातिगत जनगणना का इतिहास

भारत में जातिगत जनगणना का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल से शुरू होता है। 1872 से 1931 तक, ब्रिटिश सरकार ने नियमित रूप से जाति आधारित जनगणना आयोजित की थी। 1931 की जनगणना आखिरी अवसर था जब सभी जातियों के विस्तृत आंकड़े एकत्र किए गए। स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने नीतिगत रूप से केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की गणना करने का निर्णय लिया, और अन्य जातियों की गणना बंद कर दी गई।

2011 में, यूपीए सरकार ने सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) आयोजित की थी, लेकिन इसके जाति संबंधी आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। इस प्रकार, 1931 के बाद भारत में कोई पूर्ण जातिगत जनगणना नहीं हुई। 2021 की जनगणना, जो कोविड-19 महामारी और अन्य प्रशासनिक कारणों से स्थगित हो गई, में भी जाति डेटा शामिल करने की कोई योजना नहीं थी।

मोदी सरकार का फैसला और इसका आधार

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि आगामी जनगणना में जाति डेटा को सामान्य जनगणना फॉर्म में शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का आकलन करना, संसाधनों का उचित आवंटन सुनिश्चित करना, और पिछड़े वर्गों की पहचान कर उनके लिए बेहतर नीतियां बनाना है।

जातिगत जनगणना का आधार निम्नलिखित बिंदुओं पर टिका है:

सामाजिक न्याय: विभिन्न जाति समूहों के बीच शिक्षा, रोजगार, और आय की असमानताओं को समझने के लिए सटीक डेटा की आवश्यकता।

नीति निर्माण: सरकार को संसाधनों के बंटवारे और आरक्षण नीतियों को अधिक प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।

शोध और विश्लेषण: शिक्षाविदों और नीति विशेषज्ञों को सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए विश्वसनीय डेटाबेस उपलब्ध होगा।

संवैधानिक दायित्व: सामाजिक ताने-बाने को ध्यान में रखते हुए संविधान के तहत समावेशी विकास को बढ़ावा देना।

यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लिया गया है, जिसे कई विश्लेषक बीजेपी की रणनीति के रूप में देख रहे हैं। बिहार में 2023 की जातिगत जनगणना ने दिखाया कि 84% आबादी OBC, EBC, और SC समुदायों से है, जिसने वहां की राजनीति को प्रभावित किया।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कई नेताओं ने इसे अपनी मांग की जीत बताया, जबकि कुछ ने सरकार के इरादों पर सवाल उठाए।

कांग्रेस: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “यह सही कदम है, जिसकी हम लंबे समय से मांग कर रहे थे। मैंने संसद में कई बार यह मुद्दा उठाया और पीएम को पत्र भी लिखा।” हालांकि, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि उसने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया और 2010 में केवल एक सर्वे कराया।

आरजेडी: बिहार के नेता तेजस्वी यादव ने इसे लालू प्रसाद यादव की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, “यह हमारी मांग थी, और अब सरकार को हमारी बात माननी पड़ी। जातिगत जनगणना के डेटा के आधार पर संसद और विधानसभाओं में आरक्षण सुनिश्चित करना हमारी अगली लड़ाई होगी।”

समाजवादी पार्टी: सपा नेता फखरुल हसन ने कहा, “बीजेपी जो कहती है और करती है, उसमें बड़ा अंतर है। यह फैसला विपक्ष के दबाव का नतीजा है।”

अन्य दल: BJD, RJD, BSP, और NCP (शरद पवार) जैसे दल इस फैसले का स्वागत कर चुके हैं, जबकि TMC का रुख अभी अस्पष्ट है।

विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह फैसला उनकी लंबी लड़ाई का परिणाम है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सरकार ने यह कदम उठाकर विपक्ष के हाथ से एक बड़ा चुनावी मुद्दा छीन लिया है।

राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ

जातिगत जनगणना का फैसला भारतीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत कर सकता है। यह बीजेपी की “सबका साथ, सबका विकास” नीति को मजबूत करने का प्रयास हो सकता है, लेकिन इसके जोखिम भी हैं। डेटा के आधार पर आरक्षण की नई मांगें उठ सकती हैं, जो सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती हैं। साथ ही, यह फैसला बीजेपी को OBC और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का अवसर दे सकता है, खासकर बिहार जैसे राज्यों में।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *