राजीव कृष्ण बने यूपी के नए कार्यवाहक डीजीपी: पहले संभाल रहे थे ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां
लखनऊ, 31 मई 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने 1991 बैच के वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजीव कृष्ण को राज्य का नया कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार के 31 मई 2025 को सेवानिवृत्त होने के बाद की गई है, जिन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला। राजीव कृष्ण ने शनिवार रात को डीजीपी का कार्यभार संभाल लिया।
पहले कौन से पद पर थे राजीव कृष्ण?
राजीव कृष्ण इस नियुक्ति से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष और सतर्कता निदेशक (डीजी विजिलेंस) के पद पर कार्यरत थे। इन दोहरी जिम्मेदारियों के साथ उन्होंने पुलिस भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विशेष रूप से, 2023 में सिपाही भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटना के बाद, राजीव कृष्ण को इस परीक्षा को दोबारा आयोजित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके नेतृत्व में यह परीक्षा बिना किसी विवाद के सफलतापूर्वक संपन्न हुई, जिसने उनकी प्रशासनिक क्षमता को और मजबूत किया।
राजीव कृष्ण का करियर: एक नजर
मूल रूप से गौतमबुद्ध नगर के निवासी राजीव कृष्ण ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और 1991 में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने प्रयागराज में प्रशिक्षु आईपीएस के रूप में की। इसके बाद, उन्होंने बरेली, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, इटावा, और नोएडा जैसे जिलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
वह दो बार लखनऊ के पुलिस प्रमुख रहे और मेरठ, लखनऊ, और आगरा जोन में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) के पद पर भी कार्यरत रहे। इसके अलावा, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में इंस्पेक्टर जनरल (आईजी) के रूप में उनकी भूमिका और उत्तर प्रदेश में आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के गठन में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। इटावा में तैनाती के दौरान उन्होंने बीहड़ में सक्रिय डकैत गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की, जिसके लिए उन्हें दो बार राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया।
योगी सरकार का भरोसा और विपक्ष का तंज
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विश्वासपात्र अधिकारियों में से एक माने जाने वाले राजीव कृष्ण की इस नियुक्ति को कानून-व्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उनकी तकनीकी समझ और हाईटेक पुलिसिंग में विशेषज्ञता, जैसे कि ऑपरेशन पहचान ऐप और ई-मालखाना प्रणाली की शुरुआत, ने उन्हें इस पद के लिए मजबूत दावेदार बनाया।
हालांकि, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस नियुक्ति पर तंज कसते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश लगातार कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्तियों का “रिकॉर्ड” बना रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह नियुक्ति भी “सियासत का शिकार” हो जाएगी।
आगे की चुनौतियां
राजीव कृष्ण का कार्यकाल जून 2029 तक है, जो उन्हें लंबे समय तक इस पद पर बने रहने का अवसर देता है। उनकी प्राथमिकताओं में अपराध नियंत्रण, साइबर क्राइम पर अंकुश, और पुलिस बल के डिजिटलीकरण को और बढ़ावा देना शामिल हो सकता है। उनकी नियुक्ति को लेकर पुलिस महकमे और जनता में उम्मीदें बढ़ गई हैं कि वह उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को और सुदृढ़ करेंगे।