वाराणसी में बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ हड़ताल शुरू, आज से कार्य बहिष्कार और धरना-प्रदर्शन
वाराणसी, 16 मई 2025: वाराणसी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों ने आज से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारी और अभियंता भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक (एमडी) कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्मचारियों ने ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति के आदेश को तत्काल रद्द करने और निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने की मांग की है। इस हड़ताल से वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका है।
धरना-प्रदर्शन की शुरुआत
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कर्मियों ने 15 मई से धरना शुरू किया था, जो अब कार्य बहिष्कार में बदल गया है। समिति ने घोषणा की है कि कर्मचारी आज, 16 मई, से सुबह 10 बजे के बाद और शाम 5 बजे से अगले दिन तक कोई कार्य नहीं करेंगे। भिखारीपुर के हनुमान मंदिर के पास और एमडी कार्यालय पर कर्मचारी नारेबाजी और सभाओं के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से न केवल उनकी नौकरियां खतरे में पड़ेंगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगी बिजली का सामना करना पड़ेगा।
निजीकरण के खिलाफ तर्क
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा, “पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का घाटा कम हुआ है और राजस्व में वृद्धि हुई है, फिर भी निजीकरण क्यों? यह निर्णय गरीब उपभोक्ताओं और किसानों के लिए हानिकारक है।” कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण का टेंडर जारी हुआ, तो वे बिना नोटिस के व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे। समिति ने यह भी आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा गलत प्रेस नोट जारी कर कर्मचारियों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व में विरोध प्रदर्शन
वाराणसी में बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ आंदोलन नया नहीं है। दिसंबर 2024 में भिखारीपुर में विरोध प्रदर्शन और मार्च निकाला गया था। जनवरी 2025 में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर और कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज किया। 23 जनवरी को लखनऊ में शक्ति भवन पर हुए प्रदर्शन में वाराणसी के कर्मचारी भी शामिल थे। समिति ने महाकुंभ के दौरान बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विरोध स्थगित किया था, लेकिन अब निजीकरण की प्रक्रिया तेज होने से आंदोलन फिर शुरू हो गया है।
संभावित प्रभाव
इस हड़ताल से वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, और अन्य पूर्वांचल जिलों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। अक्टूबर 2020 में इसी तरह के प्रदर्शन से चंदौली में आपूर्ति ठप हो गई थी, जिससे दो लाख लोग प्रभावित हुए थे। कर्मचारियों के ‘वर्क टू रूल’ आंदोलन के तहत केवल निर्धारित ड्यूटी करने से फॉल्ट सुधार और आपातकालीन सेवाएं बाधित हो सकती हैं। उपभोक्ताओं से धैर्य रखने और वैकल्पिक व्यवस्था करने की सलाह दी गई है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
प्रशासन ने भिखारीपुर और हाइडिल कॉलोनी में पुलिस तैनात की है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे। दिसंबर 2024 में भी विरोध प्रदर्शन के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है, उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने दिल्ली में यूपी की सस्ती बिजली की तारीफ की थी, फिर निजीकरण क्यों? पावर कॉरपोरेशन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
उपभोक्ताओं के लिए सलाह
बिजली कर्मियों की हड़ताल के कारण उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे बिजली शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर 1912 पर संपर्क करें। आपातकालीन स्थिति में जेनरेटर या इनवर्टर की व्यवस्था रखें। किसानों को सलाह दी गई है कि वे सिंचाई के लिए वैकल्पिक समय चुनें ताकि बिजली कटौती का असर कम हो।