यूपी में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के वेतन में बड़ा इजाफा: जानिए अब कितनी मिलेगी सैलरी और अन्य राज्यों से तुलना

यूपी में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के वेतन में बड़ा इजाफा: जानिए अब कितनी मिलेगी सैलरी और अन्य राज्यों से तुलना

यूपी में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के वेतन में बड़ा इजाफा: जानिए अब कितनी मिलेगी सैलरी और अन्य राज्यों से तुलना

यूपी की योगी सरकार ने संविदा कर्मियों के बाद अब शिक्षामित्र और अनुदेशकों को भी वेतन में वृद्धि का एक बहुत बड़ा तोहफा देने जा रही है जिससे उनकी सैलरी में इजाफा होगा सरकार की तरफ से इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिससे जल्दी कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में महत्वपूर्ण वृद्धि की घोषणा की है, जिससे राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस निर्णय के तहत, शिक्षामित्रों का मासिक मानदेय 10,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया जाएगा, जबकि अनुदेशकों का मानदेय 9,000 रुपये से बढ़ाकर न्यूनतम 22,000 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा।

वर्तमान और प्रस्तावित मानदेय:

संवर्गवर्तमान मानदेयप्रस्तावित मानदेय
शिक्षामित्र10,00025,000
अनुदेशक9,00022,000

अन्य राज्यों में शिक्षामित्रों का मानदेय:

राज्यमानदेय/वेतन
चंडीगढ़34,000 प्रतिमाह
राजस्थान51,600 प्रतिमाह
झारखंड20,000 – 28,000
उत्तराखंड20,000 प्रतिमाह
बिहार26,000 – 29,000

यह वृद्धि न केवल शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के जीवन स्तर में सुधार लाएगी, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सकारात्मक परिवर्तन करेगी। उम्मीद है कि इस कदम से शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और वे अधिक उत्साह के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।

यूपी सरकार ने बट 20 फरवरी को आउटसोर्स एवं संविदा कर्मियों के न्यूनतम वेतन में वृद्धि की घोषणा की थी जिसके तहत संविदा कर्मियों की न्यूनतम वेतन 16000 से बढ़कर 20000 करने तक की घोषणा हुई थी। इसके तहत अब यूपी सरकार शिक्षा मित्र एवं अनुदेशकों के मानदेय में भी वृद्धि करने की योजना पर काम कर रही है प्रदेश सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है जिसके तहत शिक्षामित्र एवं अनुदेशकों की भी न्यूनतम वेतन में वृद्धि हो जाएगी जल्दी या प्रस्ताव कैबिनेट के सामने प्रस्तुत किया जाएगा जैसे कैबिनेट के मोर लगती है वह तभी से लागू कर दिया जाएगा। 

एक वित्त अधिकारी ने बताया कि दूसरे राज्यों के पैटर्न को देखते हुए यह फार्मूला उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जा रहा है। यह देखा गया है कि कई राज्यों में दो से तीन वर्षों के अंतराल पर वेतन वृद्धि की सुविधा दी जा रही है।

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