उत्तर प्रदेश: 10 से लेकर 25 हजार तक के स्टांप पेपर हुए बंद, जाने किस वजह से लगी रोक 

उत्तर प्रदेश: 10 से लेकर 25 हजार तक के स्टांप पेपर हुए बंद, जाने किस वजह से लगी रोक

उत्तर प्रदेश: 10 से लेकर 25 हजार तक के स्टांप पेपर हुए बंद, जाने किस वजह से लगी रोक 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सोमवार को योगी कैबिनेट की बैठक हुई थी। जिस बैठक में 19 अहम प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई इस बैठक में कई अहम फैसला भी दिए गए जिसमें मुख्य रूप से 10 हजार से लेकर 25 हजार तक के स्टांप पेपर को तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया गया है। आज से यह स्टांप पेपर चलन से बाहर हो जाएंगे और उनकी जगह अब ई स्टांप का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके पीछे सरकार का कहना है कि इस फैसले से गड़बड़ियां रोकने में मदद मिलेगी। 

प्रदेश सरकार में 10 हजार से लेकर 25 हजार तक के भौतिक स्टांप पेपर को बंद करने का निर्णय लिया है। उनके स्थान पर अब ई-स्टांप का ही उपयोग किया जाएगा। इसके लिए जल्दी एक अधिसूचना जारी की जाएगी सोमवार को हुए कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था। जिसमें कैबिनेट ने स्टांप एवं पंजीयन विभाग के द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी। 

अब कोषागारो में उपयुक्त पड़े 5 हजार से अधिक मूल्य वाले भौतिक स्टैंपों की बिक्री लगातार काम हो रही है। प्रदेश की कोषागारों में 6 अक्टूबर 2024 तक 5 हजार से लेकर 25 हजार तक के 5630.87 करोड रुपए के मूल्य के स्टांप पेपर बचे हुए थे।

गौरतलब है कि सोमवार को योगी कैबिनेट की बैठक हुई थी। जिस बैठक में कई अहम निर्णय लिया गया था। स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि संबंधित अधिसूचना एक-दो दिन में जारी कर दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर किसी के पास 10 हजार 15 हजार या 20 हजार या 25 हजार मूल्य तक के स्टांप पेपर है और इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। तो उसकी वापसी सुनिश्चित की जाएगी ताकि उसे किसी तरह का नुकसान न होने पाए। 

श्री जायसवाल ने बताया कि नष्ट किए जाने वाले भौतिक स्टांप पेपर की छपाई और ढुलाई में ही लगभग 7 करोड रुपए खर्च किए गए थे। ई-स्टांप पेपर की बढ़ती चलन से सरकार का छपाई व ढलाई का खर्च अब बचता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *