“मन चंगा तो कठौती में गंगा” – आज पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है संत रविदास जयंती

"मन चंगा तो कठौती में गंगा" – आज पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है संत रविदास जयंती

“मन चंगा तो कठौती में गंगा” – पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है संत रविदास जयंती


नई दिल्ली: पूरे देश में आज महान संत, समाज सुधारक और भक्तिकाल के अग्रणी कवि संत रविदास जी की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों में संत रविदास जी के अनुयायी भव्य आयोजनों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई गणमान्य नेताओं ने संत रविदास जयंती के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दीं।

पीएम मोदी और सीएम योगी ने दी शुभकामनाएँ


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास जयंती पर ट्वीट कर कहा,
“महान संत रविदास जी ने अपने विचारों और शिक्षाओं के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। उन्होंने सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने और एक समरस समाज की स्थापना की बात कही थी। उनकी जयंती पर मैं उन्हें नमन करता हूँ और देशवासियों को इस पावन पर्व की शुभकामनाएँ देता हूँ।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ट्वीट कर अपनी शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा,
“संत रविदास जी की शिक्षाएँ हमें प्रेम, करुणा और समानता का संदेश देती हैं। उनके आदर्शों को आत्मसात कर हम एक समरस और सशक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं।”

वाराणसी में भव्य आयोजन


संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर में हर साल की तरह इस बार भी भव्य आयोजन किया गया। देशभर से हज़ारों अनुयायी यहाँ पहुँचकर संत रविदास जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई और संगत द्वारा कीर्तन दरबार का आयोजन हुआ।

यहाँ हर साल पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। इस मौके पर लंगर सेवा का आयोजन भी किया गया, जिसमें हज़ारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

कौन थे संत रविदास?


संत रविदास 15वीं-16वीं शताब्दी के दौरान उत्तर भारत में जन्मे एक महान संत और समाज सुधारक थे। वे जातिवाद और छुआछूत के घोर विरोधी थे और उन्होंने हमेशा समानता और मानवता का संदेश दिया।

उनकी प्रसिद्ध कहावत “मन चंगा तो कठौती में गंगा” इस बात को दर्शाती है कि सच्ची भक्ति बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि मन की पवित्रता में होती है। उन्होंने अपने दोहों और कविताओं के माध्यम से समाज को यह सिखाया कि इंसान को जात-पात के भेदभाव से ऊपर उठकर प्रेम और सद्भाव के मार्ग पर चलना चाहिए।

संत रविदास जी के प्रमुख उपदेश


जात-पात का विरोध: उन्होंने समाज में फैले भेदभाव और ऊँच-नीच की भावना का विरोध किया और समानता पर जोर दिया।
ईश्वर की भक्ति: संत रविदास ने कहा कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें मन शुद्ध हो और प्रेम भाव से भरा हो।
सदाचार और परिश्रम: उन्होंने कर्मयोग का संदेश दिया और परिश्रम से जीवन को सफल बनाने की बात कही।
बेगमपुरा का सपना: संत रविदास ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहाँ कोई भेदभाव न हो और सभी लोग प्रेम और शांति से रहें।


पंजाब और अन्य राज्यों में उत्सव


पंजाब में भी संत रविदास जी की जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। जालंधर, अमृतसर, लुधियाना और अन्य शहरों में शोभायात्राएँ निकाली गईं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस अवसर पर कहा,
“संत रविदास जी का जीवन हमें इंसानियत और भाईचारे की सीख देता है। उनकी शिक्षाएँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।”

मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और अन्य राज्यों में भी संत रविदास जयंती को लेकर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई स्थानों पर भजन-कीर्तन और प्रवचन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

आज भी प्रासंगिक हैं संत रविदास जी के विचार


संत रविदास जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे। आज जब समाज में भेदभाव, असमानता और नफरत देखने को मिलती है, ऐसे में संत रविदास जी की शिक्षाएँ हमें प्रेम, करुणा और समानता का मार्ग दिखाती हैं।

उनकी कविताएँ और उपदेश यह सिखाते हैं कि इंसान को बाहरी दिखावे की बजाय अपने आचरण को सुधारना चाहिए और एकता के सूत्र में बंधकर रहना चाहिए।

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